भारतीय पहलवान रितिका हुड्डा को पेरिस ओलंपिक महिला कुश्ती के 76 किग्रा वर्ग के क्वार्टर फाइनल में किर्गिस्तान की अयापेरी किजी के खिलाफ बराबरी के बाद आखिरी अंक गंवाने के कारण हार का सामना करना पड़ा। अपना पहला ओलंपिक खेल रही 21 साल की रितिका ने शीर्ष वरीयता प्राप्त पहलवान को कड़ी टक्कर दी और शुरुआती पीरियड में पैसिविटी से एक अंक की बढ़त बनाने में सफल रही। दूसरे पीरियड में रितिका ने कड़ी टक्कर देने के बावजूद ‘पैसिविटी’ (अति रक्षात्मक रवैया) के कारण एक अंक गंवाया जो इस मैच का आखिरी अंक साबित हुआ। स्कोर तो 1-1 से बराबर रहा, लेकिन आखिरी अंक बनाने के कारण शीर्ष वरीय अयापेरी को मैच में विजेता घोषित किया गया। हालांकि, रितिका ने अपने जज्बे से दिल जीत लिया
भारतीय नौसेना की अफसर हैं रितिका
रितिका का जन्म रोहतक के खड़कड़ा गांव में हुआ था। वह भारतीय नौसेना में अफसर हैं और चीफ पैटी अफसर के पद पर तैनात हैं। रितिका का प्रोफेशनल करियर ज्यादा लंबा नहीं है। उन्होंने 2022 में विश्व जूनियर चैंपियनशिप में 72 किलो वर्ग में कांस्य पदक जीता था। इसके बाद 2023 तिराना में हुई अंडर 23 विश्व चैंपियनशिप में इस खिलाड़ी ने स्वर्ण पदक जीता था। 2024 में ही एशियन चैंपियनशिप में रितिका ने 72 किलो वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया था।
रितिका सपना था कि वो एक दिन भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतें। उनकी मां और पिता ने भी रितिका के सपनों को पूरा करने के लिए उनका जमकर समर्थन किया। रितिका के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद रितिका के हर जरूरत का ध्यान रखा। रितिका हांगझोऊ एशियाई खेल और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल, दोनों के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकी थीं। इससे रितिका इतना निराश हुईं कि उन्होंने कुश्ती छोड़ देने का फैसला किया था। हालांकि, माता-पिता ने बेटी को खूब समझाया और निराश न होने की सीख दी। कुछ समय के बाद रितिका उससे उबर गईं और हार से प्रेरणा लेकर जमकर मेहनत की। रितिका ने जमकर मेहनत की और पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया और अब वह देश का नाम रोशन कर रही हैं।