20 मार्च 2023 सोमवार श्री गंगानगर / जयपुर विगत काफी समय से राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्राइवेट चिकित्सक लगातार धरने प्रदर्शन करते हुए व अंत में हड़ताल पर बैठ गए।
जयपुर में आज प्रदर्शन के दौरान निजी चिकित्सकों का समूह विधानसभा घेराव हेतु आगे बढ़ने लगा। इसी दौरान निजी चिकित्सकों की पुलिस से कहा सुनी हो गई वह स्थिति धक्का-मुक्की तक आ गयी।
2400 से ज्यादा प्राइवेट हॉस्पिटल वाले आंदोलन में शामिल
सोमवार को प्रदेशभर के 2400 से ज्यादा प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक सड़कों पर उतरे। सबसे पहले डॉक्टर्स और हॉस्पिटल संचालक जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल परिसर में बने जयपुर मेडिकल एसोसिएशन के सभागार में जुटे। यहां उन्होंने बिल के विरोध में अपना-अपना तर्क रखा। डॉक्टर्स दोपहर करीब 12 बजे एसएमएस हॉस्पिटल से निकले। जेएलएन मार्ग होते हुए त्रिमूर्ति सर्किल गए। यहां से नारायण सिंह सर्किल होते हुए सेंट्रल पार्क के सामने से स्टैच्यू सर्किल पहुंचे।

स्टैच्यू सर्किल पर पुलिस से झड़प
पुलिस ने सभी को करीब 1 बजे स्टैच्यू सर्किल के पास रोक लिया। डॉक्टर और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की होने लगी। सभी डॉक्टर्स स्टैच्यू सर्किल पर ही धरने पर बैठ गए। इस दौरान प्रदर्शनकारी उग्र हो गए और पुलिस से झड़प हो गई। आरोप है कि पुलिस ने पुरुष डॉक्टर्स के साथ ही महिला डॉक्टर्स के साथ मारपीट की और उनके कपड़े फाड़ दिए।
इधर, कुछ दिन पहले इस बिल का समर्थन करने वाली जॉइंट एक्शन कमेटी भी अब वापस बिल के विरोध में उतर गई है। इस कमेटी का गठन डॉक्टरों की यूनियन ने ही किया था।
सेक्रेटरी का आरोप- पुलिस वालों ने खींचकर नीचे गिरा दिया
प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिग सोसायटी के सेक्रेटरी डॉक्टर विजय कपूर ने बताया- हम सभी आगे थे। पुलिस वालों ने अचानक खींचकर नीचे गिरा दिया। दो तीन लाठियां मारने के बाद भगदड़ मच गई। हम नीचे गिर गए। उसके बाद का कुछ पता नहीं चला। सरकार ने हमारी बात नहीं मानी तो जो करना पड़ेगा करेंगे।
एक दूसरे डॉक्टर ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान सेक्रेटरी सबसे आगे चल रहे थे। अचानक कुछ पुलिस वालों ने सेक्रेटरी पर डंडे बरसाने शुरू कर दिए। किसी ने ध्यान नहीं दिया कि ये नीचे गिरे हुए हैं। हमारी ही भीड़ आगे बढ़ रही थी। पुलिस ने हमारी कोई मदद नहीं की।


सरकार पर शर्ते और सुझाव न मानने का आरोप
15 मार्च को विधानसभा में प्रवर समिति के साथ हुई बैठक के बाद जॉइंट एक्शन कमेटी ने बिल को पास किए जाने का समर्थन किया था। समिति के चेयरमैन डॉक्टर सुनील चुघ का कहना था कि सरकार ने कमेटी के सभी आपत्तियों और सुझावों को मानते हुए बिल में इसे शामिल कर लिया है। इसका विरोध करने का अब कोई औचित्य नहीं है। एक गुट इस बिल का लगातार विरोध कर रहा था। आंदोलन वापस बड़ा हो गया तो कमेटी के दूसरे सदस्य भी बिल के विरोध में आ गए। उनका आरोप है कि सरकार ने उनकी शर्तों और सुझावों को बिल में शामिल नहीं किया। वे इसे अब पास करने जा रही है।
जानिए क्या है बिल में
राइट टू हेल्थ में यह सब कवर होगा
- राइट टू हेल्थ में बायो-टेरोरिज्म (जैव आतंकवाद), बायो टेक्नोलॉजी, नेचुरल बायोलॉजिकल खराबी पैदा करने वाले या बायोलॉजिकल वेपन, बैक्टीरिया, वायरस, जहरीले तत्व, बायो प्रोडक्ट्स से होने वाले नुकसान भी कवर होंगे।
- केमिकल अटैक, नेचुरल हॉरर (प्राकृतिक विभीषिका), परमाणु हमला या दुर्घटना, प्रभावित आबादी की बड़ी तादाद में मौत, जनहानि, प्रभावित आबादी पर लम्बे समय के लिए प्रभाव या गंभीर रूप से अक्षम होने, वायरल या जहरीले तत्वों, गैसों का फैलना और उससे होने वाले जोखिम शामिल किए गए हैं।
- एपिडेमिक यानी महामारी के दौरान राइट टू हेल्थ प्रदेश के लोगों के स्वास्थ्य को इलाज का सुरक्षा कवच देगा।
- मेडिकल एंड हेल्थ के किसी भी मेथड (पद्धति) में रिप्रोडक्टिव हेल्थ, इमरजेंसी मेडिकल ट्रीटमेंट, डायग्नोसिस, नर्सिंग, रिहेबिलिटेशन, हेल्थ रिकवरी, रिसर्च, जांच, उपचार, प्रोसीजर्स और अन्य सर्विसेज इसमें शामिल हैं।
- सभी तरह के गवर्नमेंट और प्राइवेट इंस्टीट्यूट, फैसिलिटी, बिल्डिंग, जगह या उसका पार्ट इसमें शामिल हैं।
- इनडोर, आउटडोर यूनिट्स, सरकारी या प्राइवेट स्वामित्व से चलाए जा रहे संस्थान, फंडेड और कंट्रोल्ड इंस्टीट्यूट्स इसमें शामिल होंगे।
- हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर में हेल्थ साइंस डॉक्टर्स, नर्स, पैरा मेडिकल स्टाफ, सोशल वर्कर्स, स्पेशियलाइज्ड हेल्थ प्रोवाइडर, नर्सिंग, रिहैब, हेल्थ रिकवरी, ट्रीटमेंट और दूसरी स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं।
- लॉ, पॉलिसी, प्रोग्राम, प्रोजेक्ट, टेक्नोलॉजी, नुकसान पहुंचाने वाली एक्टिविटीज की पहचान करने, प्रीडिक्शन करने, एनालिसिस और इवेल्यूएशन (मूल्यांकन) करना, संभावित प्रभावों को कम करने के लिए प्रोसीजर, मेथड्स और साधनों का कॉर्डिनेशन इसमें शामिल रहेगा।
- इलाज के खर्चे, जोखिम, फायदों, विकल्पों को भी इसमें शामिल किया गया है।
शिकायत निवारण सिस्टम डेवलप होगा
- एक्ट शुरू होने की तारीख से 6 महीने के अंदर सरकार कम्प्लेंट रिड्रेसल सिस्टम क्रिएट करेगी।
- वेब पोर्टल, सहायता केंद्र शिकायतों को 24 घंटे के अंदर संबंधित अधिकारी या ऑब्जर्वर को भेजेगा।
- संबंधित अधिकारी अगले 24 घंटे के अंदर शिकायत करने वाले को जवाब देगा।
- अगर 24 घंटे में शिकायत का सॉल्यूशन अधिकारी नहीं करता है तो वह शिकायत डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी को तुरंत फॉरवर्ड की जाएगी।
- डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी शिकायत मिलने के 30 दिन में उचित कार्रवाई करेगी और उसकी रिपोर्ट वेब पोर्टल पर अपलोड करेगी। शिकायतकर्ता को भी सूचना दी जाएगी। शिकायतकर्ता को बुलाकर सॉल्यूशन की कोशिश भी की जाएगी।
- डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी की ओर से 30 दिन में सॉल्यूशन नहीं होने पर शिकायत को स्टेट हेल्थ अथॉरिटी को फॉरवर्ड किया जाएगा।
स्टेट हेल्थ अथॉरिटी बनेगी
राजस्थान में स्टेट हेल्थ अथॉरिटी बनेगी। जिसमें जॉइंट सेक्रेटरी या उससे ऊपर रैंक का आईएएस अधिकारी अध्यक्ष होगा। हेल्थ डायरेक्टर मेंबर सेक्रेटरी होंगे। जबकि मेडिकल एजुकेशन कमिश्नर, राजस्थान स्टेट हेल्थ इंश्योरेंस एजेंसी के जॉइंट सीईओ, आयुर्वेद डायरेक्टर, होम्योपैथी डायरेक्टर, यूनानी डायरेक्टर पदेन सदस्य होंगे। सरकार की ओर से नॉमिनेटेड दो लोग जिन्हें पब्लिक हेल्थ और हॉस्पिटल मैनेजमेंट की नॉलेज हो, वह मेंबर होंगे। पदेन सदस्य के अलावा सभी मेंबर्स की नियुक्ति 3 साल के लिए होगी। 6 महीने में कम से कम एक बार हेल्थ अथॉरिटी की बैठक होगी। साल में 2 बार बैठक करनी होगी।
हर जिले में डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी बनेगी
स्टेट हेल्थ अथॉरिटी बनने की तारीख से 1 महीने के अंदर डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी की ऑटोनॉमस बॉडी बनाई जाएगी। इसमें जिला कलेक्टर पदेन अध्यक्ष होगा। जिला परिषद सीईओ पदेन सह अध्यक्ष होगा। डिप्टी सीएमएचओ पदेन सदस्य, जिला आयुर्वेद अधिकारी और पीएचईडी के एसई पदेन सदस्य होंगे। राज्य सरकार करी ओर से नॉमिनेटेड दो मेंबर सदस्य होंगे। जिला परिषद का प्रमुख इसका सदस्य होगा।