नई दिल्ली :25 जुलाई
- भारत के लोकतंत्र के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। यह वह गौरवशाली क्षण है, जब जनजातीय समुदाय से आने वाली श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी देश के माननीय राष्ट्रपति के पद पर आसीन हुई हैं। यही हमारे लोकतंत्र की वह अटूट शक्ति है, जहां सुदूर क्षेत्र में पैदा हुई गरीब-आदिवासी वर्ग की बेटी भी देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है।
ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव में जन्म लेने के बाद उनका जीवन संघर्ष तथा समर्पण की प्रेरणादायक और गौरवशाली गाथा रहा है। उस समय, जब ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं का घर से निकलना भी चुनौतीपूर्ण था, ऐसे में सभी बाधाओं का दृढ़ता से सामना करते हुए वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली गांव की पहली बेटी बनीं।
अपने सुदीर्घ सार्वजनिक जीवन में कौन्सिलर से लेकर प्रदेश की मंत्री और माननीय राज्यपाल की भूमिका में उन्होंने आमजन की कठिनाइयों और परेशानियों को बेहद नजदीक से देखा और समझा। इसी ने उन्हें जनता की आशाओं और आकांक्षाओं को वाणी देने तथा उनकी समस्याओं के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाने में सदैव क्रियाशील बनाए रखा।
उनके इसी तप, त्याग और तपस्या का सुपरिणाम है कि अपने जनप्रतिनिधियों के माध्यम से देश के करोड़ों नागरिकों ने उनके प्रति अपने विश्वास की अभिव्यक्ति की। उनकी यह उपलब्धि देश के वंचित और गरीब वर्ग के करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा है कि वे जीवन में आगे बढ़ने के सपने देख भी सकते हैं और उन्हें पूरा भी कर सकते हैं।
माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का इस गरिममयी पद पर आसीन होना एक ऐसे अभूतपूर्व अवसर पर हो रहा है, जब देश की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर भारत वासी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। नवीन ऊर्जा और नव संकल्प की भावना से देशवासी सामूहिकता के साथ नए भारत के निर्माण में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे रहे हैं।
आज देशवासियों में ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास‘‘ का दृढ़-संकल्प है। श्रीमती मुर्मू जी का नेतृत्व गरीब, दलित, पिछड़े और आदिवासियों के सशक्तिकरण के प्रयासों को और गति देकर देश की विकास यात्रा में उनकी और अधिक सहभागिता सुनिश्चित करेगा।
मुझे आशा है कि माननीय राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू जी के कुशल मार्गदर्शन में हम भारतीय लोकतंत्र को नई ऊंचाइयां प्राप्त करते हुए देखेंगे। देश में संवैधानिक मूल्यों और परम्पराओं के प्रति विश्वास और अधिक सुदृढ़ होगा। विश्वगुरू बनने के पथ पर भारत तेजी से गतिमान होगा। मेरी ओर से उन्हें गरिमामयी पद व दायित्व के लिए अनेक शुभकामनाएं।ओम बिरला (लोकसभा अध्यक्ष)