इनकम टैक्स रिटर्न भरने की डेडलाइन 31 जुलाई है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि आईटीआर (ITR) भरते हुए आप कैसे टैक्स बचा सकते हैं। कई बार आप अपने खर्च और टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट्स के बारे में अपने एम्प्लॉयर को बताना भूल जाते हैं। पीपीएफ या ईएलएसएस म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश हो सकता है। संभव है कि आप किराए के मकान पर रह रहे हैं लेकिन आपने एचआरए के क्लेम के लिए एम्प्लॉयर को जरूरी दस्तावेज न दिए हों। इस तरह के मामलों में एम्प्लॉयर ने आपकी सैलरी से टैक्स काट दिया होगा। यहां हम बता रहे हैं कि आईटीआर भरते समय आप कैसे टैक्स बचा सकते हैं।
धारा 80सी में छूट
आयकर कानून की धारा 80C में निवेश से जुड़े कई विकल्पों पर टैक्स छूट मिलती है। इन निवेश विकल्पों में ईपीएफ, पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, एनएससी, टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (ELSS) और टैक्स सेविंग एफडी आदि शामिल हैं। इन निवेश विकल्पों के जरिए की गई बचत पर आप सेक्शन 80सी के तहत इनकम टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं। इसी तरह जीवन बीमा आदि के प्रीमियम समेत कई अन्य विकल्पों को मिलाकर कुल 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर आप इनकम टैक्स छूट पा सकते हैं। इसके अलावा, दो बच्चों की पढ़ाई में सिर्फ ट्यूशन फीस, होम लोन की किस्त में शामिल मूलधन का हिस्सा, घर की खरीद में स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज आदि पर भी आप धारा 80सी के तहत आयकर छूट का क्लेम कर सकते हैं।
एचआरए
अगर आपकी सैलरी में हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) कंपोनेंट शामिल है और आपने इस पर टैक्स डिडक्शन क्लेम करने के लिए जरूरी दस्तावेज अपने एंप्लॉयर के पास नहीं जमा करवाए थे तो अब भी वक्त है यह छूट पाने की। अब जब इनकम टैक्स रिटर्न भर रहे हैं तो एचआरए पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। इनकम टैक्स के सेक्शन 10(13ए) के तहत एचआरए पर टैक्स छूट मिलती है। एचआरए निर्धारित करने वाले वेतन में बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और कमीशन आते हैं। इसकी एक अहम शर्त यह भी है कि आप जिस घर में रहते हों, उसका किराया चुका रहे हों। सिर्फ इसी तरह के किराए पर कर छूट मिलेगी। होम लोन पर टैक्स बचत की राशि लोन राशि, ब्याज दर और व्यक्तिगत टैक्स स्लैब जैसे कारकों पर निर्भर करती है। धारा 24 के तहत भुगतान किए गए ब्याज पर 2 लाख रुपये तक और धारा 80 सी के तहत मूलधन के पुनर्भुगतान पर 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का लाभ उठा सकते हैं।
एनपीएस में इनवेस्टमेंट
एनपीएस खाताधारक को धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक और धारा 80 सीसीडी के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये तक की आयकर (Income Tax छूट मिलती है। हालांकि एन्यूटी से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी बनती है। इस कमाई को आपकी अन्य सभी कमाइयों में जोड़कर आपका स्लैब निर्धारित होगा और उसी हिसाब से इनकम टैक्स भरना होगा। वहीं एनपीएस के टियर-1 अकाउंट में कंट्रीब्यूशन पर और विदड्रॉल दोनों पर टैक्स से छूट के लाभ मिलते हैं। ऐसे में खाताधारकों को यह भी फायदा मिलेगा।
हेल्थ इंश्योरेंस
इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट मिलती है। इस छूट का फायदा खुद, बच्चों या माता-पिता के लिए ली गई हेल्थ पॉलिसी के लिए दिए जाने वाले प्रीमियम पर मिलता है। लेकिन क्या आपको पता है कि एक और तरीका है जिससे आप टैक्स बचा सकते हैं और इसका आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान से कोई लेना-देना नहीं है। इस छूट का दावा सेक्शन 80DDB के तहत किया जा सकता है। धारा 80 डी कटौती अपने परिवार के सदस्यों में से किसी के नाम पर ली गई मेडीक्लेम पर भी लागू होती है। धारा 80 डी के तहत, एक व्यक्ति स्वयं, एक पति या पत्नी या आश्रित बच्चों के लिए बीमा पर 25,000 रुपये की कर कटौती राशि का दावा कर सकता है। यदि व्यक्ति या पति/पत्नी एक वरिष्ठ नागरिक है, तो कटौती राशि 50,000 रुपये पर निर्धारित की जाती है।