श्रीगंगानगर गंभीर बात यह है कि जलदाय विभाग ने सोमवार से इस पानी को पेयजल के लिए स्टोरेज करना शुरू कर दिया। जलदाय विभाग का दावा है कि शुद्धिकरण के बाद ही शहर में यह पानी सप्लाई किया जाएगा और इसमें टयूबवेल का पानी भी मिक्स होगा । अधिकारियों ने बताया, सोमवार को नहरी पानी के 7 सैंपलाें की जांच करवाई गई। इसमें आक्सीजन लेवल 7 से अधिक आया। पानी में मैटल जांच के लिए सैंपल जयपुर भेजे गए हैं। सवाल यह है कि रिपोर्ट आने से पहले इसे सप्लाई करना कहां तक सही है? अगले तीन-चार दिन जलदाय विभाग की ओर से सप्लाई किया हुआ पानी थोड़ा संभलकर ही पीएं और हो सके तो इस पानी को उबालकर ही पिएं। वजह- पंजाब से अभी काला दूषित पानी आ रहा है। नहरबंदी के बाद पंजाब से नहरों से छोड़े गए पानी में औद्योगिक अपशिष्ट मिला हुआ है।


एलएंडटी एरिया में प्रभावित रही सप्लाई
जलदाय विभाग की ओर से शहर में फिर से नहरी पानी की सप्लाई शुरू करने के बावजूद साेमवार काे चहल चाैक, चक 2 ई छाेटी, सत्यम नगर, भूप काॅलाेनी एरिया प्रभावित रहा। सहायक अभियंता रुपेश बिश्नाेई के अनुसार नाथांवाली हैड वर्क्स की डिग्गी पर लगी एक माेटर के पानी नहीं उठाने के कारण एलएंडटी की ओर से डीएमए-37 चहल चाैक व आसपास के एरिया की सप्लाई समय पर नहीं हाे पाई। इस एरिया में देर रात तक पानी सप्लाई किया गया। इसके अलावा चक 2 ई छाेटी व सत्यमनगर में पानी सप्लाई तय समय पर नहीं आया।
अफसर- पानी में ऑक्सीजन ठीक, शुद्ध करके सप्लाई देंगे जलदाय विभाग ने नहरी पानी में हैवी मैटल की मौजूदगी का पता लगाने के लिए सैंपल लेकर जांच के लिए सेंट्रल लैब जयपुर भिजवाया है। अब इस सैंपल की जांच रिपाेर्ट मई माह तक आएगी। तब तक शहर के लाेग यह पानी कई दिन तक पी चुके हाेंगे। सवाल यह है कि पानी के कारण यदि किसी काे नुकसान हुआ ताे इसकी जिम्मेदारी किसकी हाेगी? इस पर जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। हालांकि पिछले काफी समय से मांग उठ रही है कि हैवी मैटल की जांच के लिए जिला मुख्यालय पर ही एक लैब स्थापित की जाए, ताकि नहरी पानी की जांच जल्द हो सके और उसमें मैटल का पता लगाया जा सके।
संवाददाता हेम सिंह भाटी