तेलंगाना राजनीति : तेलंगाना में भारत के संविधान की मूल धारणा से छेड़छाड़ का मामला सामने आया है. जहां पर स्टेट एजेकुशन बोर्ड की किताबों में भारत के संविधान से सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्दों को हटा दिया गया है. इन शब्दों को हटाए जाने के बाद जब इसकी बात सामने आई तो पूरे विभाग में हड़कंप मंच गया, और मामले की जांच के आदेश दे दिए गए.
नए एडिशन की किताबों से सोशलिस्ट यानी समाजवाद और सेक्युलर यानी धर्मनिरपेक्ष शब्द को हटाने के बाद से नाराजगी है. इस बात के सामने आने के बाद तेलंगाना स्टेट यूनाइटेड टीचर्स फेडरेशन ने कड़ी आपत्ति जताई है. वहीं एससीईआरटी का कहना है कि उसने संविधान की प्रस्तावना से ऐसे किसी शब्द को हटाने के बारे में कहा ही नहीं है. अब सवाल यह उठ रहा है कि जब उन्होंने इन शब्दों को हटाया ही नहीं है तो ये शब्द आखिर हटे कैसे? इस मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
जांच रिपोर्ट में क्या निकला?
इस पूरे मामले में एससीईआरटी ने सफाई देते हुए कहा कि 10वीं की किताबों में छपाई से पहले प्रूफ रीडिंग की गलती की वजह से ऐसा हुआ है. वहीं राज्य शिक्षा बोर्ड ने सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों (DEO) को आदेश दिया है कि जिन किताबों में ये शब्द छप गए हैं उन किताबों पर संविधान की मूल प्रस्तावना का प्रिंट आउट निकाल कर उस पन्ने पर चिपका दिया जाए, जिससे कोई भी छात्र संविधान की गलत प्रस्तावना नहीं पढ़े.
सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैली की तेलंगाना में भारत के संविधान की प्रस्तावना को बदल दिया गया है. जबकि एजुकेशन बोर्ड लगातार ऐसी किसी भी घटना से इंकार कर रहा है. तेलंगाना तेलंगाना स्टेट यूनाइटेड टीचर्स फेडरेशन (TSUTF) ने इसे एक बड़ी गलती बताया है और इसकी छपाई करने वाले गलत प्रकाशक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.