शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा फैट हमें कई तरह से नुकसान पहुंचाता है. इसकी वजह से इंसुलिन रेसिस्टेंट, टाइप-2 डायबिटीज, हाइपरटेंशन, नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की बीमारी, कमजोर इम्युनिटी, दिल से संबंधित बीमारियों समेत कई तरह की दिक्कत हो सकती है. एक्स्ट्रा फैट की वजह से सिर्फ मोटे या ज्यादा वजन वाले लोगों को ही दिक्कत नहीं होती है, बल्कि नॉर्मल बॉडी वाले लोग भी परेशान हो सकते हैं. ऐसे में हर किसी को फैट बर्निंग जोन की जरूरत होती है.
क्या है फैट बर्निंग जोन?
फैट बर्निंग जोन का मतलब इतनी ज्यादा एक्सरसाइज होता है, जिससे शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा फैट खत्म हो सके. कई जिम और फिटनेस सेंटर्स में दीवारों पर फैट बर्निंग जोन के चार्ट लगे होते हैं, जिससे पता लगता है कि किसी भी व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा फैट खत्म करने के लिए कितनी एक्सरसाइज करनी चाहिए. मेरठ बेस्ड फिटनेस एक्सपर्ट मोहित चौहान के मुताबिक, फैट बर्निंग जोन का मतलब एक्सरसाइज की रेंज से होता है, जिसमें शरीर जमा फैट को एनर्जी के लिए इस्तेमाल करता है. जब हम एक्सरसाइज करते हैं तो शरीर कार्बोहाइड्रेट, फैट और कुछ हद तक प्रोटीन को फ्यूल के रूप में इस्तेमाल करता है. फैट बर्निंग जोन में एक्सरसाइज करने का मतलब फैट को प्राइमरी फ्यूल के रूप में इस्तेमाल करना होता है.
कैसे करनी चाहिए एक्सरसाइज?
फिटनेस एक्सपर्ट के मुताबिक, जब हम एक्सरसाइज करते हैं, उस वक्त हमारा पल्स रेट हमारे अधिकतम हार्ट रेट का 60 से 70 पर्सेंट होना चाहिए. इस तरह के वर्कआउट की इंटेंसिटी हल्के से मॉडरेट की ओर होनी चाहिए, जिसमें आप आराम से एक्सरसाइज तो कर सकते हैं, लेकिन इससे आपकी सांस फूल सकती है. ऐसे में पल्स रेट पर नजर रखने के लिए आप स्मार्टवॉच या फिटनेस ट्रैकर का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस तरह एक्सरसाइज करने से शरीर कार्बोहाइड्रेट्स की जगह बॉडी में जमा फैट को इस्तेमाल करता है, जिससे फैट घटता है और वजन कम होने लगता है. ऐसे में हमारा शरीर एरोबिक मेटाबोलिज्म पर निर्भर होता है, जहां एनर्जी के लिए ऑक्सीजन फैट मॉलेक्यूल्स को तोड़ती है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब हम हल्की एक्सरसाइज काफी देर तक करते हैं तो शरीर फैट को फ्यूल के रूप में इस्तेमाल करता है.
कैसे पता करें फैट बर्निंग जोन?
फैट बर्निंग जोन का पता लगाने का सबसे आसान तरीका अपने मैक्सिमम हार्ट रेट का 60 से 70 पर्सेंट का पता लगाना है. आमतौर पर किसी इंसान का मैक्सिमम हार्ट रेट 220 से उनकी उम्र घटाकर निकाला जाता है. मान लीजिए कि आपकी उम्र 30 साल है तो आपका हार्ट रेट 220 – 30 यानी 190 होगा. ऐसे में बेसिक मैथ्स के हिसाब से आप अपने मैक्सिमम हार्ट रेट का 60 से 70 पर्सेंट तय कर लीजिए. 30 साल की उम्र के हिसाब से यह 114 से 133 होना चाहिए. अब आपको इसी हार्ट रेट रेंज के आसपास एक्सरसाइज करनी है. इस तरह से एक्सरसाइज करने से फैट जल्दी खत्म होता है.
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