23 अगस्त को शाम करीब 6 बजकर चार मिनट पर ISRO लैंडर मॉड्यूल की सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश करेगा, अगर लैंडिंग ठीक होती है तो रोवर अगले कई दिनों तक चांद पर रहकर कई रहस्यों से पर्दा उठा सकता है.
चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग
अब एक बार फिर चंद्रयान के लॉन्चिंग की बारी थी, पूरे देश और दुनिया की नजरें इस लॉन्चिंग पर टिकी थीं. 14 जुलाई को दोपहर के दो बजते ही सभी ने अपनी आंखें टेलीविजन पर जमा लीं, इसके बाद काउंटडाउन शुरू हो गया. श्रीहरिकोटा से ठीक 2:35 बजे चंद्रयान-3 लॉन्च हुआ और आसमान को चीरता हुआ चांद की ओर निकल पड़ा.
चांद की कक्षा में प्रवेश किया
लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-3 ने पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की कवायद से पहले इसे छह, नौ, 14 और 16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में नीचे लाने की कवायद की गई, जिससे ये चंद्रमा की सतह के नजदीक आ सके. इसके बाद 17 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल अलग हो गया.
कैसे होगी लैंडिंग
चांद पर लैंडर को उतारने से पहले उसे इसरो ने डीबूस्टिंग की प्रक्रिया से गुजारा, जिसमें लैंडर मॉड्यूल की रफ्तार को कम किया गया, इसके बाद अब 23 अगस्त को शाम करीब 6 बजकर चार मिनट पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की जाएगी. इस बड़े और ऐतिहासिक पल का लाइव टेलीकास्ट होगा.
चांद पर लैंडर मॉड्यूल की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान को बाहर निकाला जाएगा. रोवर चांद की सतह पर चलेगा और आगे का काम शुरू होगा.
चांद पर उतरने के बाद क्या करेगा रोवर?
लैंडर मॉड्यूल से निकलकर रोवर चांद की सतह पर चलने लगेगा, चांद की सतह पर पहुंचने के बाद ये रोवर एक लूनर डे (चंद्र दिवस) का वक्त वहां गुजारेगा. एक लूनर डे 14 दिनों का होता है. रोवर इसरो के लिए चांद पर कई तरह के वैज्ञानिक परीक्षण करेगा.
चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराया जाएगा
चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराया जाना है. चांद का ये हिस्सा वो जगह है, जिसके बारे में अब तक ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है. इसीलिए भारत का चंद्रयान-3 यहां लैंड हो रहा है. सफल लैंडिंग के बाद चांद पर रोवर जो परीक्षण करेगा उससे कई अहम जानकारियां मिल सकती हैं.