अच्छा मेटाबॉलिज्म वजन घटाने में कैसे मदद करता है : आपका सवाल हो सकता है कि मेटाबॉलिज्म और वजन घटने का आपस में क्या रिलेशन है. इसे थोड़ा विस्तार से समझना जरूरी है. पहले ये जान लीजिए कि मेटाबॉलिज्म की की जो प्रक्रिया होती है वो एक किस्म की कैमिकल प्रोसेस होती है. जो हमारे खाए हुए खाने को एनर्जी में तब्दील करती है. इसी प्रक्रिया से कैलोरी बर्न होने की प्रोसेस भी सही रफ्तार से चलती है. मेटाबॉलिक रेट कम होने का मतलब होता है कम कैलोरी का बर्न होना. कैलोरी कम बर्न होगी तो इसका सीधा असर वजन पर ही पड़ेगा.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक शोध के मुताबिक मेटाबॉलिक रेट अपनी नॉर्मल पेस से कम होता है तो कैलोरी बर्न होने की प्रोसेस भी बहुत स्लो होती है. इस वजह से शरीर में फैट जमने लगता है. मेटाबॉलिक रेट फास्ट होने पर कैलोरी आसानी से बर्न होती है और फैट नहीं बढ़ता है. इससे वजन आसानी से घटता है. तीन बातों का ध्यान रख कर आप शरीर की मेटाबॉलिक रेट को ठीक रख सकते हैं.
ज्यादा पानी पीते रहें
पानी ज्यादा पीना चाहिए ये तो सभी जानते हैं पर क्यों पीना चाहिए ये भी समझ लीजिए. एक अध्ययन के मुताबिक 500ml पानी पीने से मेटाबॉलिज्म की धीमी हो रही गति 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. जिससे ये साफ हो जाता है कि सही मात्रा और सही अंतराल पर पानी पीते रहने से मेटाबॉलिक रेट भी सही रहती है.
हाई इंटेंसिटी वाले वर्कआउट चुनें
हाई इंटेंसिटी वाले वर्कआउट को HIIT यानी कि हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग कहते हैं. मेटबॉलिक रेट बढ़ाने के लिए हिट वर्कआउट काफी कारगर माने जाते हैं. इसमें तेजी से शरीर को मूव किया जाता है जिससे मेटाबॉलिक रेट बढ़ता है और फैट तेजी से बर्न होता है.
ज्यादा देर बैठे न रहें
कुछ लोगों का काम ही ऐसा होता है कि उन्हें घंटों एक जगह बैठे रहना पड़ता है. बैठे रहने से मेटाबॉलिक रेट कम रहता है. मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने के लिए लॉन्ग सिटिंग से ब्रेक लेकर कुछ देर चलना या खड़े रहना चाहिए. कुछ अध्ययन के मुताबिक खड़े होने से कार्डियोमेटाबॉलिक जोखिम कम होता है. ब्लड प्रेशर भी सामान्य होता है.