हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष रोजड़ी धाम।
सालासर बालाजी से मान्यता मिलने के बाद 1994 में सीकर जिले के रसीदपुरा से आए गजानंद जी महाराज ने रोजड़ी गांव के चाैक पर श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर की नींव रखी थी। मंदिर की स्थापना के साथ चूना तथा मिट्टी से बनी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की थी। यहां प्रज्ज्वलित अखंड ज्याेति 29 साल से जल रही है।
रोजड़ी धाम की कहानी – सफारी सूट पहने बस से उतरे व्यक्ति ने कहा था यहां सालासर बालाजी का मंदिर बनेगा

मंदिर में आसोज तथा चैत्र महीने में दाे बार मेला भरता है। मंदिर में प्रत्येक शनिवार तथा मंगलवार को विशेष आरती होती है। मंदिर संस्थापक गजानन जी महाराज ने सुबह शाम की आरती के बाद एक घंटे का कीर्तन शुरू किया था। आरती के बाद कीर्तन की परंपरा आज भी जारी है।
अगस्त 1994 में सफारी सूट पहने एक व्यक्ति बस से रोजड़ी गांव के चौराहे पर उतरा। आसपास के लोगों से मिलने के बाद उसने कहा कि यहां पर सालासर बालाजी का मंदिर बनेगा। उन्हाेंने अपना नाम गजानंद बताया। उन्हाेंने वहीं रहना शुरू कर दिया। मंदिर स्थापना के लिए उन्होंने एक धोती पहन ली। तप करने लगे। जनसहयाेग से मंदिर का निर्माण शुरू हाे गया। साइकिल पर आए मूर्तियां बेचने वाले से गजानंद महाराज ने 5 रुपए में मिट्टी तथा चूना मिश्रित प्रतिमा खरीद ली,

प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा स्थापित कर छोटा सा मंदिर बना दिया। धीरे-धीरे मंदिर ने वर्तमान जैसा भव्य स्वरूप ले लिया। वर्ष 2012 में श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर रोजड़ी धाम के नाम की संस्था बनाई। आमजन ने मंदिर विकास के लिए 45 लाख रुपए का सहयोग किया। जिससे मंदिर निर्माण हुआ। अगस्त, 2021 में गजानंद जी महाराज देवलोक गमन कर गए। वर्ष 2022 उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर 9 दिवसीय श्री राम चरित्र मानस की कथा हुई। भंडारा लगाया। उनकी पुण्यतिथि पर हर साल भंडारा तथा धार्मिक आयाेजन होता रहेगा। गजानंद जी महाराज ने मंदिर विकास के लिए करीब 2 साल तक मौन व्रत किया। इसके बाद करीब 6 साल तक अन्न भी त्याग दिया था।