भारत का हृदय स्थल इंदौर, आज रंग पंचमी के रंग में रंग गया। होलकर वंश के समय से रंग पंचमी के दिन रंग-गुलाल से सराबोर यात्रा जिसे “गेर” यह कहा जाता है। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी इंदौर वासियों ने इस महापर्व में हिस्सा लिया और ऐसा लग रहा है हर तरफ रंग और गुलाल ही नजर आ रहा है।
भारत का हृदय स्थल इंदौर, आज रंग पंचमी के रंग में रंग गया। होलकर वंश के समय से रंग पंचमी के दिन रंग-गुलाल से सराबोर यात्रा जिसे “गेर” यह कहा जाता है। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी इंदौर वासियों ने इस महापर्व में हिस्सा लिया और ऐसा लग रहा है हर तरफ रंग और गुलाल ही नजर आ रहा है।रंग-गुलाल से सराबोर हुआ इंदौर, 5 लाख लोगों के बीच शहर में निकली 3 किमी लंबी गेर
इंदौर के महापौर ने कहीं ये बातें
इंदौर शहर में हर साल काफी धूम धाम से मनाए जाने वाला उत्सव है लाखों लोग इसमें शिरकत होते हैं. इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘उत्सव ये इंदौर का है, उत्साह ये हमारा है. रंगपंचमी के शुभ अवसर पर निकलने वाली गेर में असंख्य नागरिकों के उत्साह एवं आनंद का साक्षी बना. आप सभी का उत्साह, स्नेह एवं सकारात्मक सहभागिता देखकर मैं भावविभोर हूँ. इस आयोजन को अपनी गरिमामयी उपस्थिति द्वारा भव्यता प्रदान करने हेतु आप सभी का सादर आभार. इस आयोजन को सार्थकता प्रदान करने हेतु अथक मेहनत करने वाले पुलिस प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम कर्मचारियों सहित सभी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष सहयोगियों का सादर आभार.’
महज 1 घंटे में कर दी पूरी सफाई
रंग पंचमी के गेर उत्सव में लाखों लोग आए और रंग गुलाल के होली खेले. लेकिन इसके बाद भी इंदौर के नगर निगम ने अपने 500 सफाई मित्रों और आधुनिक मशीन द्वारा महज 1 घंटों में पूरी इंदौर की फिर से वैसे ही सफाई कर दी जैसे पहले की तरह थी. शायद इसीलिए इंदौर शहर देश का सबसे साफ सुथरा शहर कहा जाता है.
क्या है गेर का इतिहास
कहा जाता है कि इंदौर में गेर की परंपरा होलकर वंश के समय से ही चली आ रही है. इस दिन होलकर राजवंश के लोग आम जनता के साथ होली खेलने के लिए निकलते थे और पूरे शहर में भ्रमण करते थे. इसका उद्देश्य ऊंच-नीच की भावना को मिटाकर आपस में मिलजुलकर इस पर्व को मनाना और आपस में भाईचारा बढ़ाना था. राजवंश खत्म होने के बाद भी ये परंपरा कायम रखी गई. आज इस शहर में यहां के नेता, समितियां और तमाम संस्थाएं मिलकर गेर निकालती हैं.